अगर आप भी सभी कष्टों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन हनुमत तांडव स्तोत्र का पाठ जरूर करें…

हिंदी पंचांग के अनुसार, 9 मई को बड़ा मंगल है। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ माह के पहले मंगल को मनाया जाता है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम और अनन्य भक्त हनुमान जी की पूजा उपासना की जाती है। साथ ही हनुमान जी के निमित्त व्रत उपवास भी रखते हैं। इस दिन बड़ी संख्या में भक्तगण बल, बुद्धि, विद्या की प्राप्ति हेतु हनुमान मंदिर जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मंगलवार के दिन सच्ची श्रद्धा से हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख, संकट और क्लेश दूर हो जाते हैं। अगर आप भी सभी कष्टों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन हनुमत तांडव स्तोत्र का पाठ जरूर करें। आइए, हनुमत तांडव स्तोत्र का पाठ करें-
श्री हनुमत तांडव स्तोत्र ॥ श्रीहनुमत्ताण्डवस्तोत्रम् ॥ वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम् । रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्॥ भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम् । सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम् ॥ १॥ सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न । इति प्लवङ्गनाथभाषितं निशम्य वानराऽधिनाथ आप शं तदा, स रामदूत आश्रयः ॥ २॥ सुदीर्घबाहुलोचनेन, पुच्छगुच्छशोभिना, भुजद्वयेन सोदरीं निजांसयुग्ममास्थितौ । कृतौ हि कोसलाधिपौ, कपीशराजसन्निधौ, विदहजेशलक्ष्मणौ, स मे शिवं करोत्वरम् ॥ ३॥ सुशब्दशास्त्रपारगं, विलोक्य रामचन्द्रमाः, कपीश नाथसेवकं, समस्तनीतिमार्गगम् । प्रशस्य लक्ष्मणं प्रति, प्रलम्बबाहुभूषितः कपीन्द्रसख्यमाकरोत्, स्वकार्यसाधकः प्रभुः ॥ ४॥ प्रचण्डवेगधारिणं, नगेन्द्रगर्वहारिणं, फणीशमातृगर्वहृद्दृशास्यवासनाशकृत् । विभीषणेन सख्यकृद्विदेह जातितापहृत्, सुकण्ठकार्यसाधकं, नमामि यातुधतकम् ॥ ५॥ नमामि पुष्पमौलिनं, सुवर्णवर्णधारिणं गदायुधेन भूषितं, किरीटकुण्डलान्वितम् । सुपुच्छगुच्छतुच्छलङ्कदाहकं सुनायकं विपक्षपक्षराक्षसेन्द्र-सर्ववंशनाशकम् ॥ ६॥ रघूत्तमस्य सेवकं नमामि लक्ष्मणप्रियं दिनेशवंशभूषणस्य मुद्रीकाप्रदर्शकम् । विदेहजातिशोकतापहारिणम् प्रहारिणम् सुसूक्ष्मरूपधारिणं नमामि दीर्घरूपिणम् ॥ ७॥ नभस्वदात्मजेन भास्वता त्वया कृता महासहा यता यया द्वयोर्हितं ह्यभूत्स्वकृत्यतः । सुकण्ठ आप तारकां रघूत्तमो विदेहजां निपात्य वालिनं प्रभुस्ततो दशाननं खलम् ॥ ८॥ इमं स्तवं कुजेऽह्नि यः पठेत्सुचेतसा नरः कपीशनाथसेवको भुनक्तिसर्वसम्पदः । प्लवङ्गराजसत्कृपाकताक्षभाजनस्सदा न शत्रुतो भयं भवेत्कदापि तस्य नुस्त्विह ॥ ९॥ नेत्राङ्गनन्दधरणीवत्सरेऽनङ्गवासरे । लोकेश्वराख्यभट्टेन हनुमत्ताण्डवं कृतम् ॥ १०॥ संकट दूर करने हेतु मंत्र ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा। मनोकामना मंत्र ॐ महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते। हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये। नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा। बुरी शक्तियों के लिए मंत्र हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल:
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