ऐसी फिल्म जिसकी शूटिंग को पूरा गांव बन गया सेट
एक ऐसी बॉलीवुड फिल्म, जिसकी शूटिंग करने के लिए पूर्वी सिंहभूम के एक गांव को ही फिल्म सेट बना दिया गया। जी हां, पूरा का पूरा गांव फिल्मी सेट बना। पूरे एक महीने तक यहां शूटिंग हुई। इतना ही नहीं, बल्कि उस गांव में रहने वाले हर शख्स को फिल्मी पर्दे पर चमकाने के लिए अभिनय का मौका भी दिया गया। अब यह फिल्म रिलीज के लिए तैयार है और 26 अक्टूबर को पूरे देश के साथ-साथ जमशेदपुर के पीएम मॉल स्थित सिनेपोलिस मल्टीप्लेक्स में भी इसे रिलीज किया जा रहा है
फिल्म का नाम है-‘गांव : ए विलेज नो मोर।’ इस फिल्म का निर्देशन भी जमशेदपुर (बारीडीह) विजया गार्डेन निवासी गौतम सिंह ने किया है। निर्माता भी जमशेदपुर की ही बहू नेहा गौतम सिंह हैं। ‘पिपली लाइव’ फेम नत्था यानी ओंकार दास व बीए पास शादाब खान के अलावा इस फिल्म में अधिकतर अभिनेता जमशेदपुर से जुड़े हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि पूर्वी सिंहभूम का वह कौन सा गांव है, जिसे फिल्मी सेट बना दिया गया था, तो आपको बता दें कि यह गांव पोटका में स्थित है। गांव का नाम भी कुछ कम फिल्मी नहीं, इसका नाम है रामगढ़। बॉलीवुड के कलाकारों के साथ पोटका के रामगढ़ गांव के ग्रामीणों से सजी इस फि़ल्म की शूटिंग रामगढ़ गांव के अलावा पहाड़भंगा, डिमना, हाता, कोवाली समेत कई स्थानों में की गई है।
यह पहला मौका होगा जब विशुद्घ ग्रामीण झारखंड के लोग बॉलीवुड की फि़ल्म में दिखेंगे। फि़ल्म के लाइन प्रोड्यूसर विनय पूर्ति ने बताया कि फिल्म में फि़ल्म में शहर के सचिन सिंह और नेहा सिन्हा ने सहायक निर्देशक और कविश कुमार ने प्रोडक्शन मैनेजर के तौर पर काम किया है। जानकारी हो कि गौतम सिंह करीम सिटी कॉलेज के पूर्व छात्र हैं।
रामगढ के लोंगो को फिल्म का इंतजार
फि़ल्म के मुख्य शूटिंग स्थल रामगढ़ के ग्रामीण बेसब्री से फिल्म का इंतजार कर रहे हैं। ग्रामीणों ने उनके स्वागत की भी जोरदार तैयारी की है। इसके अलावा शहर के नाट्य संस्थान, होटल मालिक और कलाकार भी खतिदारी की तैयारी में है जो फि़ल्म का हिस्सा थे।
देश के गाव का हाल दिखेगा फि़ल्म में
इस फिल्म में ग्रामीण भारत और नगरीय भारत के अंतर को अलग अंदाज में दिखाया गया है। किस तरह से मासूम ग्रामीणों का शोषण किया जाता है, उनकी आर्थिक स्थिति का मजाक बनाया जाता है, जैसे मुद्दों को फिल्म में दिखाया गया है। फिल्म के माध्यम से ग्रामीण मजदूरों को किसी तरह से इकॉनोमिक लेबरिज्म के नाम पर कर्जदार बनाया जाता है और फिर उनका शोषण होता है, इसे दर्शाया गया है।