सट्टा का क्रेज लोगों को बना रहा है इन 5 बड़ी बीमारियों का शिकार, जान लें उपाय
आजकल सट्टा मटका का क्रेज युवाओं में काफी देखने को मिल रहा है। इसमें आईपीएल से लेकर सभी नेशनल गेम में लोग अपना पैसे दोगुना करने के लिए यह खेल खेलते हैं। इसके चंगुल में ज्यादातर स्कूल और कॉलेज के छात्र फंसे हुए होते हैं। खास बात यह है कि इसमें शहर के कुछ बड़े व्यवसायी घरानों के युवक सट्टाबाजी के कारोबार को बैकडोर से बढ़ावा देते हैं। पर क्या आप जानते हैं इस खेल के माहिर लोग भी जाने-अनजाने इस सट्टे की वजह से पांच बड़ी बीमारियों के शिकार बन रहे हैं।आइए जानते हैं उनके बारे में…. 

डिप्रेशन
इस खेल को खेलने वाले लोग कई अंक में से किसी एक नंबर को चुनते हैं जिस पर उसे शर्त लगानी होती है। जिसके चलते लोग डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। डिप्रेशन एक मानसिक समस्या है जिसमें कई लोग असामान्य होकर अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं। डिप्रेशन इंसान के शरीर की वह स्थिति होती है जब जीवन में कोई बदलाव आ जाता है या उस बदलाव को मानसिक तौर पर वह सहन नहीं कर पाता। उस स्थिति में हमारा मस्तिष्क थक जाता है और हमें तनाव होने लगता है। हमारे कई हारमोंस परिवर्तन हो जाते हैं और हम डिप्रेशन में चले जाते हैं।
इस खेल को खेलने वाले लोग कई अंक में से किसी एक नंबर को चुनते हैं जिस पर उसे शर्त लगानी होती है। जिसके चलते लोग डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। डिप्रेशन एक मानसिक समस्या है जिसमें कई लोग असामान्य होकर अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं। डिप्रेशन इंसान के शरीर की वह स्थिति होती है जब जीवन में कोई बदलाव आ जाता है या उस बदलाव को मानसिक तौर पर वह सहन नहीं कर पाता। उस स्थिति में हमारा मस्तिष्क थक जाता है और हमें तनाव होने लगता है। हमारे कई हारमोंस परिवर्तन हो जाते हैं और हम डिप्रेशन में चले जाते हैं।
आंखों पर बुरा प्रभाव
जर्मनी में मैग्डेबर्ग की ओटो वॉन गुरिके यूनिवर्सिटी में हुए एक ताजा शोध में बताया गया कि निरंतर तनाव और कोर्टिसोल के बढ़े हुए स्तर से ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम में असंतुलन की वजह से आंखों के साथ मस्तिष्क पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।शोध में पाया गया कि इंट्राऑक्यूलर प्रेशर में वृद्धि, एंडोथेलियल डिसफंक्शन (फ्लैमर सिंड्रोम) और सूजन तनाव के कुछ ऐसे नतीजे हैं जिससे और नुकसान होता है। जिसमें व्यक्ति को लगता है कि उसके पास बहुत कम या कोई नियंत्रण नहीं है।
जर्मनी में मैग्डेबर्ग की ओटो वॉन गुरिके यूनिवर्सिटी में हुए एक ताजा शोध में बताया गया कि निरंतर तनाव और कोर्टिसोल के बढ़े हुए स्तर से ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम में असंतुलन की वजह से आंखों के साथ मस्तिष्क पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।शोध में पाया गया कि इंट्राऑक्यूलर प्रेशर में वृद्धि, एंडोथेलियल डिसफंक्शन (फ्लैमर सिंड्रोम) और सूजन तनाव के कुछ ऐसे नतीजे हैं जिससे और नुकसान होता है। जिसमें व्यक्ति को लगता है कि उसके पास बहुत कम या कोई नियंत्रण नहीं है।
हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है
तनाव होने पर शरीर में हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है।निरंतर तनाव की स्थिति में, व्यक्ति लगातार हमले जैसी स्थिति महसूस करता है और शरीर की लड़ाई प्रतिक्रिया चालू रहती है। तनाव-प्रतिक्रिया प्रणाली की दीर्घकालिक सक्रियता के चलते तनाव हॉर्मोन के लिए ओवर एक्सपोजर, शरीर में लगभग सभी प्रक्रियाओं को बाधित कर सकता है। इस प्रकार व्यक्ति विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में घिर जाता है।’तनाव से स्वास्थ्य पर होने वाले कुछ प्रभावों में चिंता, अवसाद, पाचन समस्याएं, हृदय रोग, अनिद्रा, वजन बढ़ना और ध्यान केंद्रित करने की समस्याएं शामिल हैं।
तनाव होने पर शरीर में हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है।निरंतर तनाव की स्थिति में, व्यक्ति लगातार हमले जैसी स्थिति महसूस करता है और शरीर की लड़ाई प्रतिक्रिया चालू रहती है। तनाव-प्रतिक्रिया प्रणाली की दीर्घकालिक सक्रियता के चलते तनाव हॉर्मोन के लिए ओवर एक्सपोजर, शरीर में लगभग सभी प्रक्रियाओं को बाधित कर सकता है। इस प्रकार व्यक्ति विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में घिर जाता है।’तनाव से स्वास्थ्य पर होने वाले कुछ प्रभावों में चिंता, अवसाद, पाचन समस्याएं, हृदय रोग, अनिद्रा, वजन बढ़ना और ध्यान केंद्रित करने की समस्याएं शामिल हैं।
क्या करें-
-सुबह जल्दी उठे: तनाव कम करने में सबसे सहायक है कि आप सुबह जल्दी उठें।अगर आप सुबह जल्दी उठते हैं तो आप अपने कई काम बिना किसी देरी के समय से निपटा सकते हैं।
-बे-वजह काम को ना टाले: हर बार आपने महसूस किया होगा कि आप कि दिनचर्या में होने वाले कामों को आप कुछ समय के लिए टाल देते हैं। ऐसा बिल्कुल ना करें।जब जिस काम की आवश्यकता हो उस काम को तुरंत निपटा लें। इस तरह कोई भी काम बाकी नहीं रहेगा और आपको उस काम को करने की टेंशन नहीं होगी।
– अपने लिए समय निकालें: टेक्नोलॉजी के इस नए दौर में इंसान सब कुछ जल्दी पा लेना चाहता है।भागदौड़ भरी जिंदगी में आज किसी के पास भी समय नहीं है।अपना समय अपने परिवार और अपने दोस्तों के साथ बताएं उनसे मजाक मस्ती करें।
-सुबह जल्दी उठे: तनाव कम करने में सबसे सहायक है कि आप सुबह जल्दी उठें।अगर आप सुबह जल्दी उठते हैं तो आप अपने कई काम बिना किसी देरी के समय से निपटा सकते हैं।
-बे-वजह काम को ना टाले: हर बार आपने महसूस किया होगा कि आप कि दिनचर्या में होने वाले कामों को आप कुछ समय के लिए टाल देते हैं। ऐसा बिल्कुल ना करें।जब जिस काम की आवश्यकता हो उस काम को तुरंत निपटा लें। इस तरह कोई भी काम बाकी नहीं रहेगा और आपको उस काम को करने की टेंशन नहीं होगी।
– अपने लिए समय निकालें: टेक्नोलॉजी के इस नए दौर में इंसान सब कुछ जल्दी पा लेना चाहता है।भागदौड़ भरी जिंदगी में आज किसी के पास भी समय नहीं है।अपना समय अपने परिवार और अपने दोस्तों के साथ बताएं उनसे मजाक मस्ती करें।