बिहार: चिराग ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद से पूछा- राजद ने मुसलमानों के लिए क्या किया
चिराग पासवान ने कहा कि मैं मदनी साहब का बहुत सम्मान करता हूं। मैं उनके निर्णय का सम्मान करता हूं। लेकिन, मैं उनसे आग्रह करूंगा कि वे यह सोचें कि क्या हमारे विरोधी जैसे राष्ट्रीय जनता दल, जो मुसलमानों के स्व-घोषित शुभचिंतक हैं
लोक जनशक्ति पार्ट (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सोमवार के इफ्तार पार्टी का आयोजन किया है। इसका विरोध जमीयत उलेमा-ए-हिंद (JUH) ने किया तो सियासत गरमा गई। अब चिराग पासवान ने इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। चिराग ने विरोध जताते हुए कहा है कि “मेरे दिवंगत पिता और राजनीतिक गुरु राम विलास पासवान ने एक बार बिहार में एक मुसलमान को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपनी पूरी राजनीतिक करियर को जोखिम में डाला था।
चिराग ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संगठन को अपनी चिंताएं हैं, जिसको लेकर उन्होंने इस तरह का फैसला लिया है। मैं इतना जरूर कहूंगा कि जिन्हें इन्होंने मुसलमान समाज का ठेकेदार बनाना सही समझा है, क्या वे लोग उनके हितों का संरक्षण कर पा रहे हैं?
क्या मुस्लिमों की स्थिति में सुधार आया?
चिराग पासवान ने पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव की पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा कि जो लोग राजद के इफ्तार में जा रहे हैं, उनसे भी तो सवाल-जवाब किए जाने चाहिए। उन्होंने मुस्लिमों के लिए क्या किया है?” उन्होंने कहा कि ये लोग लंबे समय तक सत्ता में रहे, क्या मुस्लिमों की स्थिति में सुधार आया? इन लोगों ने क्या किया? हमारे पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान ने बिहार में मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने को लेकर अपनी पार्टी तक को समाप्त कर दिया था, उस समय राजद जैसी पार्टियों ने क्या किया था?
जानिए मदनी ने क्या लगाया आरोप
चिराग पासवान ने सोमवार को कहा कि मैं मदनी साहब का बहुत सम्मान करता हूं। मैं उनके निर्णय का सम्मान करता हूं। लेकिन, मैं उनसे आग्रह करूंगा कि वे यह सोचें कि क्या हमारे विरोधी जैसे राष्ट्रीय जनता दल, जो मुसलमानों के स्व-घोषित शुभचिंतक हैं, अ्ल्पसंख्यक समुदाय के हितों की रक्षा कर पाए हैं।” बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख अरशद मदनी ने शनिवार को एक पोस्ट में घोषणा की थी कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद, नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे स्व-घोषित धर्मनिरपेक्ष नेताओं द्वारा आयोजित इफ्तार, ईद मिलन और अन्य कार्यक्रमों में भाग नहीं लेगी।” मदनी ने इन नेताओं पर मुसलमानों के खिलाफ “अत्याचारों” पर चुप रहने का आरोप लगाया है और कहा कि “उनकी दोहरी नीति वक्फ बिल पर उनके अस्पष्ट रुख से स्पष्ट हो गई है।