मुंह से जुड़ी ये समस्याएं करती हैं Diabetes की ओर इशारा

डायबिटीज (Diabetes Symptoms) एक ऐसा मेटाबोलिक डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की इंसुलिन बनाने की क्षमता खत्म हो जाती है। जब शरीर में शुगर लेवल स्पाइक होता है, तब इंसुलिन का काम ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना होता है। ये लिवर को भी ज्यादा शुगर बनाने से रोकता है, लेकिन जब इंसुलिन के साथ छेड़छाड़ होती है, तो इससे शुगर लेवल असंतुलित होता है, जो कि शरीर में कई प्रकार के बदलाव लेकर आता है। बीते कुछ समय से इस बीमारी के मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। खासकर भारत में इसके बढ़ते मामलों को देख अब भारत को डायबिटीज कैपिटल कहा जाने लगा है। यह एक लाइलाज बीमारी है, जिसे आमतौर पर दवाओं और खानपान से कंट्रोल किया जाता है। आमतौर पर ज्यादा प्यास लगना, ज्यादा पेशाब जाना, उल्टी, मितली, सिरदर्द, थकान, कमजोर नजर, भूख बढ़ना जैसे लक्षण डायबिटीज में देखने को मिलते हैं, लेकिन मुंह में भी डायबिटीज के कुछ ऐसे लक्षण देखने को मिलते हैं, जिससे डायबिटीज की पहचान की जा सकती है। आइए जानते हैं कि मुंह में नजर आने वाले डायबिटीज के ऐसे ही कुछ संकेत- डायबिटीज के वॉर्निंग साइन्स मुंह में लार का कम बनना जिसे जीरोस्टोमिया या ड्राई माउथ भी कहते हैं। मुंह में या जीभ पर जलन का एहसास होना पेरोटिड ग्रंथि का बढ़ना डेंटल कैविटी होने की संभावना बढ़ जाना अधिक ग्लूकोज होने के कारण दांतों पर प्लाक जमने की संभावना भी बढ़ जाती है ड्राई सॉकेट की संभावना पलपाइटिस (दांत के अंदरूनी हिस्से पल्प में संक्रमण) माउथ अल्सर पेरियोडोंटल टिश्यू की क्षति (पेरियोडोंटल एबसेज़) मुंह में होने वाले कोई भी घाव भरने में देरी ऐसे में डायबिटीज के संकेत जो ओरल कैविटी में देखने को मिलते हैं, इन्हें सही तरीके से मैनेज करना भी जरूरी है। इन्हें मैनेज करने के लिए अपनाएं ये टिप्स – प्लाक कंट्रोल और कैविटी फिलिंग के लिए डेंटिस्ट से चेकअप कराते रहें डेंटिस्ट आपको आगे होने वाले संभावित खतरे के लिए भी जागरूक और सजग करेंगे जैसे पेरियोडोंटल डिजीज, ओरल कैंडिडियेसिस आदि। स्मोकिंग न करें ड्राई माउथ से निपटने के लिए ओरल हाइड्रेशन बनाए रखें। पानी, आइस चिप्स, सलाइवा सब्स्टीट्यूट, शुगर लेस गम आदि का इस्तेमाल करें। कैफीन और शराब के सेवन से दूरी बनाएं। डायबिटीज के मरीज किसी भी डेंटल ट्रीटमेंट से पहले ब्लड शुगर लेवल की जांच जरूर करें। इससे होने वाली वुंड हीलिंग यानी घाव भरने की क्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता है और इस अनुसार ट्रीटमेंट को शुगर कंट्रोल होने तक टाला जाता है।
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