विज्ञानियों ने सुअर के जीन में बदलाव कर उसकी किडनी इंसान में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित की है। अभी मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है और अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर आ गया है। इस कामयाबी से भारत समेत दुनिया भर में किडनी फेल्योर का सामना कर रहे लाखों मरीजों के लिए उम्मीद की एक किरण जगी है कि उनको प्रत्यारोपण के लिए बहुत लंबा इंतजार नहीं करना होगा।
एक हफ्ते बाद अस्पताल से किया गया डिस्चार्ज
सर्जनों ने जनवरी माह में सुअर की किडनी को 66 वर्षीय व्यक्ति में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया है। यह किडनी ऐसे सुअर की है जिसके जीन में बदलाव किया गया था। मरीज की किडनी फेल हो गई थी। मैसाचुसेट्स जनरल हास्पिटल ने शुक्रवार को यह जानकारी दी है।
सुअर की किडनी लगाने के लिए टिम एंड्रयूज की जनवरी के अंत में सर्जरी हुई थी और उनको एक सप्ताह बाद हास्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
प्रत्यारोपण का यह चौथा मामला
अमेरिका में सुअर की किडनी का यह चौथा प्रत्यारोपण था। वहीं, यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन मंजूर किए गए क्लीनिकल ट्रायल के तहत सुअर की किडनी का यह पहला प्रत्यारोपण था। क्लीनिकल ट्रायल के तहत तीन किडनी प्रत्यारोपण किए जाने हैं। इससे पहले प्रत्यारोपण के बाद दो मरीजों की कम समय में ही मौत हो गई थी। इनमें से एक मरीज प्रत्यारोपण से पहले गंभीर रूप से बीमार था।
जीन में किया जा रहा बदलाव
अमेरिका में एक लाख से अधिक व्यक्ति प्रत्यारोण अंगों के लिए वेटिंग लिस्ट में हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों को किडनी का प्रत्यारोण कराना है। मगर मानव दाता अंगों की किल्लत है और यह माना जा रहा है कि वेटिंग में ही बहुत से लोगों की मौत हो जाएगी। प्रत्यारोपण अंगों की कमी को दूर करने के लिए कई बायोटेक कंपनियां सुअरों के जीन में बदलाव कर रही हैं, जिससे उनके अंगों को मानव शरीर आसानी से रिजेक्ट न करे।
छह मरीजों पर होगा दूसरा ट्रायल
नया क्लीनिकल ट्रायल जीन में बदलाव किए गए पशु अंगों पर किए गए दो अध्ययनों में से एक है, जिनको इस सप्ताह की शुरुआत में रेग्युलेटर से मंजूरी मिली है। क्लीनिकन ट्रायल में बायोटेक कंपनी ईजेनेसिस द्वारा तैयार किए गए अंगों का इस्तेमाल हो रहा है। दूसरा क्लीनिकल ट्रायल इसी वर्ष आने वाले महीनों में छह मरीजों के साथ शुरू होगा। बाद में मरीजों की संख्या बढ़ कर 50 पहुंच जाएगी।