यूपी: शादी में सात फेरों के बाद आठवां वचन भी हो रहा जरूरी
शादी के लिए सात फेरे ही काफी नहीं हैं। आज के युवा अग्नि के सामने सात वचन लेने के बाद आठवें वचन के रूप में अदालत जा रहे हैं और अपनी शादी को कानूनी मान्यता देने के लिए पंजीकरण करा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि प्रदेश में शादी का पंजीकरण कराने को लेकर यूपी के युवाओं में जागरूकता बढ़ी है। पिछले आठ साल में प्रदेश में शादी के पंजीकरण में ढाई गुना वृद्धि हुई है। जबकि इसी अवधि में शादी निरस्त कराने वालों की भी संख्या में पांच गुना वृद्धि हुई है। इस साल अब तक 83000 जोड़े पंजीकरण करा चुके हैं। रोचक बात ये है कि पति का विदेश दौरा करने से पहले शादी का पंजीकरण कराने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है।
शादी के गठबंधन को ज्यादा मजबूत करने का माध्यम विवाह पंजीकरण बनता जा रहा है। यूपी में शादी के एक वर्ष के अंदर 70 फीसदी लोग पंजीकरण करा रहे हैं। 20 फीसदी लोग शादी के दस वर्ष के अंदर पंजीकरण कराने आ रहे हैं। दस वर्ष के बाद शादी का पंजीकरण कराने वालों की संख्या 10 फीसदी है। इसमें भी तीन फीसदी लोग ऐसे हैं, जिन्होंने शादी के 20 वर्ष बाद पंजीकरण कराया। 10 वर्ष के बाद शादी का पंजीकरण कराने वालों में करीब आधी संख्या ऐसे जोड़ों की है, जो अकेले या साथ में विदेश जा रहे हों। पिछले साल पहली बार इस पंजीकरण ने एक लाख का आंकड़ा पार किया।
इसलिए बढ़ी पंजीकरण कराने वालों की संख्या
यूपी में शादी का रजिस्ट्रेशन कराने वालों की संख्या में आई तेजी की कई वजहें हैं। एक तो युवाओं में अपनी शादी की कानूनी मान्यता को लेकर जागरुकता बढ़ी है। पिछले दस वर्ष में विदेश जाने वाले युवाओं की संख्या में तीन गुना से ज्यादा वृद्धि हुई है। कई देशों में शादी का पंजीकरण प्रमाणपत्र अनिवार्य है। साथ ही पति-पत्नी आपसी संबंधों को कानूनी जामा पहनाने के लिए भी रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं।