गिव इट अप’ योजना पर लगा ग्रहण, LPG उपभोक्ता वापस मांग रहे सब्सिडी
जरूरतमंदों का एलपीजी चूल्हा जलाने के मकसद से शुरू की गई ‘गिव इट अप’ योजना में शामिल बिहार के रसोई गैस उपभोक्ता इसके दायरे से बाहर भी निकलने लगे हैं। हजारों उपभोक्ता अपनी रसोई गैस सब्सिडी फिर से चालू भी करा चुके हैं। यह सिलसिला लगातार चल रहा है।
क्या है योजना
गिव इट अप अभियान 27 मार्च 2015 को शुरू हुआ था। नई दिल्ली में ऊर्जा केंद्रित वार्षिक शिखर सम्मेलन ‘ऊर्जा संगम-2015’ के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लांच किया था। इस अभियान के तहत संपन्न तबकों से अनुरोध किया गया था कि वे अपनी रसोई गैस सब्सिडी को छोड़ दें ताकि जरूरतमंद लोगों के घर भी चूल्हा जल सके।
बिहार में भी दिखा असर
बिहार में भी इस योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया। रसोई गैस सब्सिडी छोडऩे वाले उपभोक्ताओं को विशेष सम्मान देने की पहल भी हुई। नतीजा भी अच्छा निकला। ताजा आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल बिहार में आइओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल के कुल डेढ़ करोड़ रसोई गैस उपभोक्ता हैं। कुल एलपीजी उपभोक्ताओं में ‘गिव इट अप’ स्कीम में 4.18 लाख ग्राहक शामिल हैं। यानी ये उपभोक्ता अपनी रसोई गैस सब्सिडी नहीं लेते हैं।
वजह चाहे जो भी हो लेकिन रसोई गैस सब्सिडी छोडऩे के बाद इसे पाने के लिए भी आवेदन मिलने लगे हैं। आइओसी के अधिकृत सूत्रों ने कहा कि अबतक कुल 3359 आवेदन मिल चुके हैं। इनकी रसोई गैस सब्सिडी फिर से चालू कर दी गई है।
बढ़ी है रसोई गैस की कीमत
जब यह योजना शुरू हुई थी तो 14.2 किलो वाले रसोई गैस सिलिंडर की कीमत 460 रुपये थी, और प्रति सिलिंडर सब्सिडी 160 रुपये मिलती थी। फिलहाल रसोई गैस सिलिंडर की कीमत 976.50 रुपये है और सब्सिडी की राशि 465.17 रुपये है। यानी फिलहाल जितनी सब्सिडी मिल रही है उतने में तब पूरा सिलिंडर ही मिल जाता था।
उपभोक्ताओं के अपने तर्क
मैं पहले ग्रामीण बैंक में नौकरी करता था। अब रिटायर्ड हो चुका हूं। आमदनी सीमित हो गई है। इसलिए गिव इट अप दायरे से बाहर निकल गया हूं।
कंकड़बाग स्थित मेरी इलेक्ट्रिक दुकान पहले अच्छी चलती थी। अब पास ही में दो और इलेक्ट्रिक दुकानें खुल गईं हैं। इससे ग्राहक कम हो गए हैं। आमदनी घट गई है। इसलिए रसोई गैस सब्सिडी का लाभ वापस ले रहा हूं।
मैं मध्यम वर्ग का आदमी हूं। 160 रुपये सब्सिडी मिलती थी, इसलिए छोड़ा था। अब सब्सिडी की राशि 450 रुपये के आसपास मिल रही है। इसलिए ले रहा हूं।
साल में पांच हजार रुपये से अधिक रसोई गैस सब्सिडी इस समय मिल रही है। पहले दो हजार रुपये से भी कम मिलती थी। महंगाई के कारण खर्च बढ़ा है इसलिए सब्सिडी वापस ले लिया हूं।
रसोई गैस सब्सिडी छोडऩे के बाद इसे वापस पाने के लिए भी उपभोक्ता आवेदन दे रहे हैं। हालांकि इनकी संख्या बेहद सीमित है। प्रतिदिन आठ से दस आवेदन ही इस तरह के मिल रहे हैं