लखनऊ: मंदिर परिसर में संदिग्ध हालातों में महिला सफाईकर्मी की हत्या
लखनऊ में मंदिर परिसर में संदिग्ध हालातों में एक महिला सफाईकर्मी की हत्या हो गई। सुबह जब दरवाजा खुला तो शव खून से लथपथ मिला।
लखनऊ के गोसाईंगंज इलाके के कबीरपुर निवासी बुजुर्ग महिला महाराजा (85) का खून से लथपथ शव शुक्रवार सुबह झारखंडेश्वर मंदिर में बने उनके कमरे में बिस्तर पर पड़ा मिला। सिर व शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे। वह मंदिर में रहकर साफ-सफाई का काम करती थीं। उनके बेटे राम कैलाश ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया है। पुलिस मंदिर से जुड़े व पारिवारिक विवाद को केंद्र में रखकर छानबीन कर रही है।
एडीसीपी साउथ अमित कुमावत के मुताबिक महाराजा बीते 30 वर्षों से कासिमपुर बिरुहा स्थित झारखंडेश्वर मंदिर में रहती थीं। शुक्रवार सुबह उनका पोता गोलू होली पर उनसे मिलने पहुंचा तो कमरा अंदर से बंद मिला। आवाज लगाने पर कोई जवाब नहीं मिला। गोलू ने झरोखे से दरवाजे की कुंडी खोली। अंदर पहुंचे तो दादी का शव बिस्तर पर पड़ा मिला। हत्या की सूचना पुलिस, एडीसीपी, एसीपी भी पहुंच गए। पुलिस ने फॉरेंसिक टीम को बुला लिया।
एडीसीपी साउथ अमित कुमावत ने बताया कि सभी पहलुओं पर जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महाराजा की मौत की वजह हेड इंजरी आई है। सिर पर चार से पांच चोट के निशान थे। दाहिना पैर भी टूटा था। इसके अलावा गले व शरीर पर चोट के कई निशान मिले हैं।
उमाशंकर ने बताया कि बृहस्पतिवार रात करीब 11 बजे दादी को आखिरी बार मंदिर में देखा गया था। फिर वह सोने चली गई थीं। उमाशंकर की माने तो मंदिर में ही रहने वाले दो बाबाओं से दादी का विवाद था। इसके बारे में दादी ने पहले भी कई बार बताया था। दादी के कमरे में रखे बख्शे का ताला टूटा था और मच्छरदानी भी अस्त व्यस्त थी। चर्चा यह भी है कि मंदिर के कुछ लोग महाराजा को वहां से हटाना चाहते थे।
होली की खुशियां गम में बदलीं
महाराजा के परिजन होली की तैयारियों में जुटे थे। सुबह उनकी हत्या की खबर घर पहुंची तो खुशियां गम में बदल गईं। महाराजा के पति कल्लू की पहले ही मौत हो चुकी है। परिवार में दो बेटे हरिनाम, राम कैलाश व उनका परिवार रहता है। एक बेटे राम भजन की मौत हो चुकी है। उनका परिवार भी गांव में ही सबके साथ रहता है।
चार दिन पहले प्रॉपर्टी के लिए परिजनों से हुआ था विवाद
झारखंडेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष विकल्प श्रीवास्तव बताते हैं कि कई वर्ष पहले महाराजा यहां आई थीं। उनके आग्रह पर असहाय समझकर उन्हें मंदिर परिसर में रहने दिया। बुजुर्ग महिला न तो मंदिर समिति की सदस्य थीं और न ही उन्हें कोई काम दिया गया था। लोगों ने बताया कि तीन-चार दिन पहले उनके किसी परिजन या रिश्तेदार से प्रॉपर्टी के लिए विवाद हुआ था। बीते चार दिन से वह मंदिर में अकेली थीं। मंदिर के पुजारी पप्पू बाबा की आंख का ऑपरेशन हुआ है। इसके चलते वह घर पर हैं।
दावा : स्वयं भू शिवलिंग पर 150 साल पहले बनाया गया था मंदिर
विकल्प श्रीवास्तव ने दावा किया कि करीब 150 वर्ष पूर्व गोमती नदी उफान पर थी। नदी का पानी कम होने पर हमारे बाबा मंगली प्रसाद को सफाई के दौरान शिवलिंग मिला। इसके बाद पूजा पाठ शुरू हुई। फिर मंदिर का निर्माण कराया गया।