सरदार पटेल की जयंती पर केंद्रशासित राज्य बना जम्मू-कश्मीर, पढ़िए रोचक किस्सा

बुधवार और गुरुवार की रात जम्मू-कश्मीर के लिए ऐतिहासिक साबित हुई। जैसे ही रात के 12 बजे और तारीख बदली जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश बन गया। इससे अगग हुए लद्दाख को भी यही दर्जा मिल गया। यह संयोग ही है कि दोनों केंद्र शासित प्रदेश देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती (31 अक्टूबर) के मौके पर अस्तित्व में आए। पटेल को 560 छोटी रियासतों को भारत संघ में मिलाने का श्रेय जाता है। 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है।

बता दें, इसी साल 6 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को पारित किया था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर दो अलग-अलग केंद्र शासित राज्यों, जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के रूप में 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएगा। केंद्र सरकार ने देश के पहले गृहमंत्री लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए ही जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को 31 अक्टूबर को प्रभावी बनाने का फैसला किया था।

भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत इसके तमाम नेता कहते आए हैं कि सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री बनते तो आज कश्मीर समस्या अस्तित्व में ही नहीं होती।

शुरू में पटेल को कश्मीर में नहीं था इंटरेस्ट

यह जानकारी भी कम रोचक नहीं है कि सरदार पटेल को शुरू में कश्मीर में कोई रुचि नहीं थी। उन्होंने कहा भी था कि कश्मीर चाहे तो पाकिस्तान का हिस्सा बन जाए, लेकिन 13 सितंबर 1947 को हुए एक घटनाक्रम में उनका रुख बदल दिया। सरदार पटेल की जीवनी में लिखा गया है कि उस दिन सुबह पटेल ने तत्कालीन रक्षा मंत्री बलदेव सिंह को एक खत लिखा कि कश्मीर के राजा चाहें तो अपने राज्य को पाकिस्तान में शामिल कर सकते हैं। लेकिन उसी दिन शाम को पटेल को पता चला कि पाकिस्तान ने जूनागढ़ के अपने में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।

तब पटेल ने कहा था कि कि यदि पाकिस्तान, हिंदू बहुल आबादी वाले मुस्लिम शासक के जूनागढ़ को अपना हिस्सा बना सकता है तो भारत, मुस्लिम बहुल आबादी वाले हिंदू शासक के कश्मीर को क्यों नहीं? उस दिन से कश्मीर पटेल की प्राथमिकता बन गया था।

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